Saturday, 23 May 2009

ताजमहल बन जाए अगर

कोई हो गया है मेरा,
मेरी कल्पना से पहले॥
मेरा देवता मगन है,
मेरी वंदना से पहले॥

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आज चंदा पे सितारों की नजर टेढी है -
फूल कलियों पे बहारो की नजर टेढी है ।
ये डोली कैसे पहुँचेगी पिया के गांव -
भोली दुल्हन पे कहारों की नजर टेढी है ।
-विकल साकेती

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उससे मिलती जुलती आवाज कहाँ से लांऊ -
ताज महल बन जाए अगर ,मुमताज कहाँ से लांऊ ॥
बेबस मेरी फ़िक्र है सारी और कलम मजबूर मेरा -
उसको कुछ लिखने के लिए अल्फाज कहाँ से लांऊ,
ताजमहल बन जाए अगर ,मुमताज कहाँ से लांऊ ॥

-सागर आजमी

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